मैं यह भी कह रहा हूँ कि मैं कभी किसी ब्राह्मण को यह समझाने में सफल नहीं हो सकता कि मैं क्या कह रहा हूँ। वह ब्राह्मण चाहे कट्टरपन्थी हो या उदारवादी, संन्यासी हो या गृहस्थ, मार्क्सवादी हो या आधुनिकतावादी, आस्तिक हो या नास्तिक, मांसाहारी हो या शाकाहारी, वेदनिन्दक हो या वेदपूजक, काला हो या गोरा, गौड़ हो या सारस्वत, उत्तर भारतीय हो या दक्षिण भारतीय, सगुणवादी हो या निर्गुणवादी, पूँजीपति हो या मजदूर, अमीर हो या गरीब, राजा हो या भिखारी, नेता हो या श्रोता, लेखक हो या पाठक, चोर हो या साहू-मेरी यह बात उसकी समझ में कभी नहीं आ सकती कि जारकर्म बुरी चीज है।
- भूमिका से
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review