बच्चों के हक में सोचते- साचते हम परिवार तक आए हैं, लेकिन परिवार के किसी भी नियोजन में यह पहले से ही सम्मिलित रहता है कि बच्चों की पैदायश वैवाहिक पति से हो और मैथुन विवाह से बाहर न हो । मनुष्य को इतना सभ्य बनना ही है, चाहे वह ब्राह्मण हो, सामन्त हो, या दुनिया का कोई और ।
— भूमिका से
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review