Teen Dwij Hindu Strilingo Ka Chintan (Khand-Do)

Hardbound
Hindi
9788181436672
1st
2007
2nd
166
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तीन द्विज हिन्दू स्त्रीलिंगों का चिन्तन -

मातृसत्ता भी ठीक है, पितृसत्ता भी ठीक है और इन दोनों की आपसी होड़ और शिकायत भी ठीक है, पर यह तीसरी जारसत्ता कहाँ से आ धमकी है जो विवाह और परिवार को खोखले और राष्ट्र को कमज़ोर कर रही है? इसका भारतीय सन्दर्भ और इतिहास क्या है? हाँ, परिवार और विवाह के क्षेत्र में तीन डाइमेंशनों का यह नया चिन्तन मैं विश्व के स्तर पर दे रहा हूँ, यह संसार के सभी समाजों पर कमोबेश लागू है, लेकिन इस पुस्तक के लिखने में मेरी प्रयोगशाला भारत के तीन हज़ार साल के इतिहास की और उसके वर्तमान की है।

- भूमिका से

डॉ. धर्मवीर (Dr. Dharamveer)

जन्म : 9 दिसम्बर, 1950।व्यवसाय : 1980 के बैच के केरल कैडर के आई.ए.एस. अधिकारी।रचनाएँ :• दूसरों की जूतियाँ (2007)• तीन द्विज हिन्दू स्त्रीलिंगों का चिन्तन (2007)• चमार की बेटी रूपा (2007) • दलित सिविल कानून (2007) • 'जूठ

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