Chamar Ki Beti Roopa (Khand-Saat)

Hardbound
Hindi
9788181436687
1st
2007
7
138
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चमार की बेटी रूपा -

'चमार की बेटी रूपा' के बारे में यही कहना है कि चमार की किसी भी बेटी को दूसरी ग़ैर-दलित जातियों के घरों में जा कर दुख उठाने से अच्छा है, वे अपनी कौम को मज़बूती और गर्व दें। जाति टूटती है, नहीं टूटती है, या छुआछूत मिटती है, नहीं मिटती है - इन बहसों में अपना समय जाया न करके दलित जातियों को अपनी दिशा में सोचना चाहिए। ये हिन्दुओं की समस्याएँ हैं और इन्हें उन्हीं तक सीमित कर दिया जाये तो दलित जातियाँ अपनी शक्तियों और कमज़ोरियों पर ध्यान खींचने का अवसर पा सकती हैं।

- भूमिका से

डॉ. धर्मवीर (Dr. Dharamveer)

जन्म : 9 दिसम्बर, 1950।व्यवसाय : 1980 के बैच के केरल कैडर के आई.ए.एस. अधिकारी।रचनाएँ :• दूसरों की जूतियाँ (2007)• तीन द्विज हिन्दू स्त्रीलिंगों का चिन्तन (2007)• चमार की बेटी रूपा (2007) • दलित सिविल कानून (2007) • 'जूठ

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