Meer Aa Ke Laut Gaya-1

Munawwar Rana Author
Paperback
Hindi
9789352295227
2nd
2023
644
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मीर आ के लौट गया' अपने ज़माने के कद्दावर अदीव और शायर मुनव्वर राना की आपबीती है। इसमें जितनी आपबीती है, उतनी जगवीती भी है। एक आईने की शक्ल में लिखी गयी इस किताब में लिखने वाले का अक्स तो दिखता ही है, ख़ुद उस आईने का अक्स भी दिखता है जिसके ढाँचे के भीतर यह लिखी गयी है।

'मीर आ के लौट गया' गुज़िश्ता यादों की तस्वीरों से सजी हुई एक अलबम है। हालाँकि बहुत-सी तस्वीरें अब धुंधली पड़ गयी हैं लेकिन पढ़ने वाले महसूस करेंगे कि पन्ने दर पन्ने इसकी भाषा उस धुन्ध को छाँटने का काम करती है और तस्वीर के चेहरों को उभारती चली जाती है। साफ तस्वीरों में से चमकने-दमकने वाले चेहरे हमें बेहद जाने-पहचाने लगने लगते हैं।

ये वक्त के चेहरे हैं, तहज़ीबों के चेहरे हैं, शख़्सियतों और शहरों के चेहरे हैं। इस पूरी किताब में मुनव्वर राना एक ऐसे शख़्स के रूप में नज़र आते हैं जो मुसलसल वक्त की ऊँची-नीची पगडण्डियों से गुज़रते चले जा रहे हैं। इस दौरान आगे बढ़ने के लिए कभी वे जमाने की अँगुली थाम लेते हैं और कभी ख़ुद जमाने को सहारा देकर आगे बढ़ाते हैं। इस पूरे सफ़र में कभी थकान और मायूसियाँ हैं तो कभी हँसी-खुशी के पल और तरोताजा करने वाले हवा के झोंके भी हैं।

इस किताब की भाषा में ग़ज़ब की रवानगी है जो सीधे उर्दू से हिन्दी में ढलकर आयी है। आप कह सकते हैं कि यह गंगा-जमुनी भाषा है। इसमें दो सगी बहनों जैसा अपनापा है और दोनों की खूबियों की आवाजाही है। किताब के पन्ने पन्ने पर इस आवाजाही को महसूस किया जा सकता है। यहाँ जगह-जगह व्यंग्य और हास्य के साथ-साथ विट या ह्यूमर भी है। रोमांचित करने वाले ऐसे अनेक तजुर्वे हैं कि पढ़ते हुए लगता है कि किसी चलचित्र की तरह एक-एक घटना या दृश्य हमारी आँखों के आगे से सरकता जा रहा है।

कैफ़ सिद्दीक़ी सुलतानपुरी (Kaif Siddiqi Sultanpuri)

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मुनव्वर राना (Munawwar Rana)

मुनव्वर रानाजन्म : 26 नवम्बर, 1952 को रायबरेली, उत्तर प्रदेश में। सैयद मुनव्वर अली राना यूँ तो बी. कॉम. तक ही पढ़ पाये किन्तु ज़िन्दगी के हालात ने उन्हें ज्यादा पढ़ाया भी उन्होंने खूब पढ़ा भीमाँ, ग़

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