Ve Andhere Din

Paperback
Hindi
9788181431650
2nd
2011
470
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वे अंधेरे दिन -
'वे अंधेरे दिन' पुस्तक तसलीमा नसरीन के जीवन के उन अंधेरे दिनों की गाथा बयान करते हैं जब उन्हें लगभग दो महीने, गहन और नितान्त अकेले, सन्नाटे भरे अँधियारे में आत्मगोपन करके रहना पड़ा था। वह भी अपने देश में। यह उपन्यास मूलतः तथ्यपरक घटनाओं पर आधारित है। बांग्लादेश में प्रकाशित ‘आजकेर काग़ज़’, ‘भोरेर काग़ज़’, ‘इत्तफाक’, ‘संवाद’,‘बांग्ला बाज़ार’, ‘इन्क़लाब’, ‘दिनकाल’, ‘संग्राम’ आदि दैनिक अख़बारों से उन दिनों की ख़बरों से ली गयी हैं।


सुशील गुप्ता (Sushil Gupta)

सुशील गुप्ता  लगता है, मैं किसी ट्रेन में बैठी, अनगिनत देश, अनगिनत लोग, उनके स्वभाव-चरित्र, उनकी सोच से मिल रही हूँ और उनमें एकमेक होकर, अनगिनत भूमिकाएँ जी रही हूँ। ज़िन्दगी अनमोल है और जब वह शुभ औ

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तसलीमा नसरीन (Taslima Nasrin)

तसलीमा नसरीन ने अनगिनत पुरस्कार और सम्मान अर्जित किये हैं, जिनमें शामिल हैं-मुक्त चिन्तन के लिए यूरोपीय संसद द्वारा प्रदत्त - सखारव पुरस्कार; सहिष्णुता और शान्ति प्रचार के लिए यूनेस्को पुरस

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