Teen Ekant

Paperback
Hindi
9789387155879
2nd
2023
76
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आमतौर पर हिन्दी की अधिकांश कहानियों में, स्मृति का 'इस्तेमाल' है-निर्मल वर्मा के यहाँ स्मृति को जीने की कोशिश । यहाँ 'रिकलेक्शन' नहीं ‘मेमोरी’ है। इसलिए यह कहना मुश्किल है कि निर्मल वर्मा की कहानियों में उनके पात्र महत्त्वपूर्ण हैं या वे दृश्य, जिनमें रोजमर्रा की जिन्दगी की बहुत छोटी-छोटी चीजें, एक आत्मीय लय के साथ मन के भीतर खुलती हैं ।...

मेरा खयाल है-बिल्कुल निजी अनुभव के साक्ष्य पर यह बात कह रहा हूँ-कि अपने मन में निर्मल वर्मा की कहानियों को पाकर, हम मानवीय सम्बन्धों की गहराई में उतरते हैं। यह इसलिए मुमकिन होता है कि निर्मल वर्मा की कहानियों में व्यक्तिमत्ता है और समग्र कथा-प्रवाह को बेहद ऐन्द्रिक भाषा के सहारे, हमारे अन्तर्जीवन से जोड़ दिया गया है। यह कोई चिपकाने की कला नहीं है, बल्कि संश्लेषण है। इस अनुभव से गुजरते हुए प्रायः हम, तथाकथित मनोवैज्ञानिक विश्लेषण की दयनीय सीमाओं से परिचित होते हैं।

- प्रभात त्रिपाठी

निर्मल वर्मा (Nirmal Verma )

निर्मल वर्मा (1929-2005) भारतीय मनीषा की उस उज्ज्वल परम्परा के प्रतीक-पुरुष हैं, जिनके जीवन में कर्म, चिन्तन और आस्था के बीच कोई फाँक नहीं रह जाती। कला का मर्म जीवन का सत्य बन जाता है और आस्था की चुनौत

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