मृत्युंजय' और शिवाजी सावंत एक-दूसरे के पर्यायवाची बन गये हैं। ‘मृत्युंजय' महा उपन्यास के चौदह संस्करण हिन्दी में आ चुके हैं। मराठी में एक लाख से ऊपर प्रतियाँ बिक चुकी हैं। इस पुस्तक के लिए शिवाजी सावंत को 'भारतीय ज्ञानपीठ' की ओर से प्रतिष्ठित 'मूर्तिदेवी पुरस्कार' से सम्मानित किया गया है। शिवाजी सावंत की लेखनी से इसे नाट्यरूप प्राप्त हुआ और मराठी रंगमंच पर 12 वर्षों तक लगातार इसकी चर्चा रही।
कर्ण के जीवन पर आधारित यह नाटक मानवीय जीवन के विविध संघर्षों, आयामों और शाश्वत सत्य को बखूबी रेखांकित करता है। युद्ध की विभीषिका और समयगत सच्चाइयों का एक लेखाजोखा इस नाटक में समाहित है ।
1990 में, नयी दिल्ली के बृहन्महाराष्ट्र नाट्योत्सव में इस नाटक को विविध नौ पुरस्कार प्रदान किये गये । कर्ण की भूमिका निभानेवाले श्री महूवाले को प्रथम पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
'मृत्युंजय' नाटक में शिवाजी सावंत ने उपेक्षित, अपमानित और न्यायोचित अधिकारों से वंचित जीवन को वाणी दी है।
शिवाजी सावंत (Shivaji Sawant)
शिवाजी सावन्त (1940 - 2002)
मराठी के सशक्त कथा-शिल्पी। जन्म : 31 अगस्त, 1940 को आजरा, ज़िला कोल्हापुर (महाराष्ट्र) में।प्रकाशन : 'मृत्युंजय' (महाभारत के कर्ण के जीवन पर केन्द्रित उपन्यास), 'छावा' (छत्रपति शिवा