Godse@Gandhi.Com

Paperback
Hindi
9789355183293
1st
2022
120
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भारतीय साहित्य में वरिष्ठ कथाकार व सिद्धहस्त नाटककार असग़र वजाहत का नाम अपनी एक सशक्त पहचान रखता है। राजनीतिक और सामाजिक विद्रूपताओं को लक्षित करते हुए उन्होंने अपने लेखन में अखण्ड विचारधारा को ख़ौफनाक खण्डित शून्य में दर्शाया है। उन्होंने भारतीय साहित्य में अपने धारदार प्रश्नों द्वारा समय, समाज और व्यवस्था को विचार के स्तर पर चुनौती दी है। उनका एक अलग पाठक वर्ग है जो कलात्मक मूल्यों के साथ यथार्थ के मुद्दों के लिए चिन्तित ही नहीं बल्कि उनके साथ पूरी तन्मयता से बातचीत करने को तत्पर है। नाटक का प्रारम्भ एक संवेदनशील बिन्दु से होता है जब गाँधी देशद्रोह के आरोप में स्वयं को गोडसे के साथ जेल में पाते हैं। गोडसे जिसने गाँधी की हत्या करने का प्रयास किया ।

नाटक के मनोवैज्ञानिक आवरण में यह दर्शाने का प्रयास किया गया है कि महात्मा गाँधी गोडसे को समझना चाहते थे ताकि यह जान पायें कि गोडसे की उनसे नफरत करने की वजह आख़िर क्या है और गोडसे की मनोदशा में निहित सूक्ष्म आन्तरिक द्वन्द्व कितने गहरे हैं। इसके लिए गाँधी संवाद का रास्ता अख्तियार करते हैं। इस नाटक में गाँधी के गोडसे के साथ संवाद लम्बे और गम्भीर होते हुए भी बोझिल प्रतीत नहीं होते। भाषा की सरलता उनके संवादों को पाठकों से गहनता से जोड़ती है। नाटक में कहीं शाब्दिक या वैचारिक हिंसा नहीं है। विचार की जिस महीन सत्यता पर यह नाटक लिखा गया है उसी का आभास और अनुभूति हर पल पाठकों को भी होती है।

असगर वजाहत इस नाटक द्वारा स्त्री-पुरुष के प्रेम सम्बन्धों पर गाँधीवादी नीति का आकलन भी करते हैं। वास्तव में देखा जाये तो नाटक का यह पक्ष उसका केन्द्रीय बिन्दु है जिसके इर्द-गिर्द अन्य तात्कालिक स्थितियों की आपबीती के घने जंगल में यह नाटक बिना किसी शोर के सही और गलत की पहचान से दूर दिखाई देता है।

वाणी प्रकाशन ग्रुप असगर वजाहत द्वारा लिखित काल्पनिक दृश्यों की परछाई से निकलते यथार्थवादी नाटक को पाठकों के समक्ष रखते हुए प्रसन्नता अनुभव कर रहा है।

असगर वज़ाहत (Asghar Wajahat)

असग़र वजाहतहिन्दी के प्रतिष्ठित लेखक असगर वजाहत के अब तक सात उपन्यास, छह नाटक, पाँच कथा संग्रह, एक नुक्कड़ नाटक संग्रह और एक आलोचनात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। उपन्यासों तथा नाटकों के अतिरिक्त उ

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