चार तार - दत्तात्रेय रामचन्द्र बेन्द्रे की कविताओं के विषयवस्तु में विविधता है जिसकी परिणति पायी उस दीप्तिमान् व्यंग्य-विनोद में, अलौकिक असन्तोष और उल्लास में एवं चारुता उदात्तता में जो उनको पचास से अधिक कृतियों में परिव्याप्त है। इनमें अधिकतर कविता-संग्रह है : शेष नाटक-निबन्ध-कहानीसंग्रह या अनुवाद। बेन्द्रे एक पथ-स्रष्टा है जिन्होंने अनेकानेक लेखकों की कलागत संचेतना को रूपायित किया; और जिन्होंने लोकधुनों पर बँधे गीतों एवं जटिल पदों द्वारा विज्ञ और अविज्ञ दोनों को विमुग्ध रखा है।
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