वाचिक कविता : अवधी - भारतीय काव्य किसी न किसी रूप में वाचिक संस्कार से अभी तक सुवसित है। कविता की वाचिकता अभी भी है, और वह लोक में आदर भी पाती है। दूसरे शब्दों में, लोक-जीवन से उसका निकट का सम्बन्ध है। यह दूसरी बात है कि वाचिकता का जो रिश्ता अनुष्ठान की पवित्रता से था, वह कम भी हुआ है। बहुत कम लोग हैं जो रस लेकर वाचिक काव्य को सुनते हैं। फिर भी, आज के बदलते परिवेश में भी, इसकी रंगत बनी रहे, यही 'वाचिक कविता' श्रृंखला का प्रयोजन है। इसी श्रृंखला में इस पुस्तक का प्रकाशन किया गया है। प्रख्यात विद्वान् डॉ. विद्यानिवास मिश्र द्वारा सम्पादित इस पुस्तक में अवधी की वाचिक परम्परा से जीवन्त जाग्रत कविताएँ संकलित हैं। ये कविताएँ हृदयस्पर्शी तो हैं ही, अभिव्यक्ति के सलोनेपन के कारण अच्छी से अच्छी, बाँकी से बाँकी कविता के सामने एक चुनौती भी हैं। गीत की दृष्टि से समृद्ध अवधी की वाचिक परम्परा का यह संकलन सर्वथा प्रासंगिक है। भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित 'वाचिक कविता : भोजपुरी' श्रृंखला की पहली कड़ी है। इसी श्रृंखला की दूसरी कड़ी के रूप में प्रस्तुत है यह महत्त्वपूर्ण कृति 'वाचिक कविता : अवधी' का नया संस्करण।
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