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Augustya Katha

Hardbound
Hindi
9789350000052
4th
2023
88
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‘अगस्त्य-कथा' नरेन्द्र कोहली के रामकथाधृत उपन्यास 'अभ्युदय' के एक अंश की सामग्री पर आधृत नाटक है। रामकथा के अनुसार अगस्त्य ही वे ऋषि थे, जो राम के दण्डकवन में आने से पूर्व राक्षसों से सशस्त्र संघर्ष कर रहे थे और जिन्होंने राम को पंचवटी भेजा था, ताकि वे राक्षस सेनाओं के प्रत्यक्ष सम्पर्क में आयें और उनका नाश करें। इस नाटक में सारी कथा ऋषि अगस्त्य के जीवन के उस खण्ड की है, जिसमें अभी राम का प्रवेश नहीं हुआ है। वह उस ऋषि की कथा है, जिन्होंने समाजविरोधी अमानवीय तत्त्वों से लड़ने तथा समाज निर्माण के कार्य के लिए किसी राजशक्ति का मुख ताकने के स्थान पर स्वयं ही इन समस्याओं से जूझने की ठानी। अगस्त्य के नाम के साथ बहुत से चमत्कार जुड़े हुए हैं-विंध्याचल को ऊँचा उठने से रोकना, सागर को पी जाना, इल्विल और वातापी नामक राक्षसों को खा कर पचा जाना इत्यादि । नरेन्द्र कोहली ने अपने उपन्यास में उनको समझने का प्रयत्न किया है। उन्होंने इसी कथा के माध्यम से व्यक्तिगत सुख और समाज के हित के द्वन्द्व को भी पहचाना है, जो किसी एक विशेष युग का तथ्य न होकर त्रिकाल में व्याप्त सत्य है ।

इस अंश की नाटकीयता के आविष्कार हैं ज़फर संजरी। उन्हें लगा कि उपन्यास के रूप में भी यह अंश सुन्दर और आकर्षक है, किन्तु उसकी आत्मा तो नाटक के रूप में ही अपना स्वरूप प्रकट कर सकती है। सिद्ध रंगकर्मी ज़फ़र संजरी की यह मान्यता अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है कि कथा के मध्य में से जब नाटक जन्म लेता है तो दोनों विधाओं की ऊर्जा और क्षमता को सम्मिलित रूप से प्रकाशित करता है। इस नाटक की एक और विशेषता यह है कि इसमें रंग-सज्जा की कोई अपेक्षा नहीं है। इसका बिना किसी प्रकार की रंग-सज्जा के, पूर्ण सफलता और सुन्दरता से मंचन किया जा सकता है।

हमें विश्वास है कि अपनी अगली प्रस्तुति के लिए इस देश की मिट्टी से उपजे, जनमानस में रचे-बसे, किसी सामयिक, सामाजिक, गम्भीर, फिर भी रोचक नाटक की खोज में व्यस्त कोई रंगकर्मी इस नाटक की उपेक्षा नहीं कर सकता।

नरेन्द्र कोहली (Narendra Kohli)

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