Natya-Samgra (3 Volume Set)

Hardbound
Hindi
9789387889149
1st
2018
1285
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अपने कथ्य के आधार पर, नाटक प्रायः तीन प्रकार के होते हैं। पहला : व्यक्ति-केन्द्रित नाटक, दूसरा : घटना-केन्द्रित नाटक तथा तीसरा : विचार-केन्द्रित नाटक दया प्रकाश सिन्हा के नाटक विचार-केन्द्रित हैं। उनमें निहित विचार, उनके नाटकों की विशिष्टता है। इसी कारण उनके नाटक अध्येताओं द्वारा स्वीकार किये गये हैं। अनेक विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में निर्धारित हैं; और अनेक शोधार्थी उनपर शोध कर रहे हैं/कर चुके हैं।

नाटक का निकष होता है-रंगमंच। दया प्रकाश सिन्हा को, जो अन्य स्वातन्त्र्योत्तर हिन्दी नाटककारों की भीड़ से अलग प्रतिष्ठित करता है, वह है उनका रंगमंच से अभिनेता और निर्देशक के रूप में दीर्घकालीन जुड़ाव और अनुभव। यह उनके नाटकों को अतिरिक्त धार देते हुए मंचसिद्ध करता है। यह है उनके नाटकों की रंगकर्मियों में अभूतपूर्व लोकप्रियता का रहस्य। निःसन्देह आज दया प्रकाश सिन्हा की मान्यता हिन्दी के सर्वश्रेष्ठ नाटककार के रूप में है।

तीन खण्डो में प्रकाशित 'दया प्रकाश सिन्हा : नाट्य समग्र' में नाटकों का संयोजन निम्नवत है -

नाट्य-समग्र : खण्ड-1

साँझ-सवेरा, पंचतन्त्र, मन के भँवर, अपने अपने दाँव, दुस्मन तथा हास्य-एकांकी।

नाट्य-समग्र : खण्ड-2

मेरे भाई-मेरे दोस्त, सादर आपका, इतिहास-चक्र, राग-बिदेसी (ओह अमेरिका) तथा इतिहास।

नाट्य-समग्र : खण्ड-3

कथा एक कंस की, सीढ़ियाँ, रक्त-अभिषेक तथा सम्राट अशोक।

दया प्रकाश सिन्हा (Daya Prakash Sinha)

हिन्दी के लब्धप्रतिष्ठ नाटककार दया प्रकाश सिन्हा की रंगमंच के प्रति बहुआयामी प्रतिबद्धता है। पिछले चालीस वर्षों में अभिनेता, नाटककार, निर्देशक, नाट्य-अध्येता के रूप में भारतीय रंगविधा को उ

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