कठिन समय के कठिन पलों में,
यदि तुझमें कुछ साहस है बाक़ी ।
ज़िन्दा रहने की ज़िद तुझमें,
और जीवन का विश्वास है बाक़ी ।
ऐसा कोई समय नहीं बन्धु,
जिसका कोई अन्त नहीं ।
जीवन फिर रोशनी पाता है,
यदि जीने का प्रयास है बाक़ी ।
कठिन समय के अन्तराल में,
ऐसे भी क्षण आते रहते हैं।
दिल-दिमाग़ जब थम जाता है,
बस जीवन का आभास है बाक़ी।
देख क्षितिज पर फैली रोशनी,
सुबह का सूरज फिर चमकेगा ।
लिख देंगी फिर भोर की किरणें,
जो तेरा इतिहास है बाक़ी ।
(इसी संग्रह से )
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