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Waqt Sakshi Hai

D. P. Yadav Author
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Hindi
184
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कठिन समय के कठिन पलों में,

यदि तुझमें कुछ साहस है बाक़ी ।

ज़िन्दा रहने की ज़िद तुझमें,

और जीवन का विश्वास है बाक़ी ।

     ऐसा कोई समय नहीं बन्धु,

     जिसका कोई अन्त नहीं ।

     जीवन फिर रोशनी पाता है,

     यदि जीने का प्रयास है बाक़ी ।

कठिन समय के अन्तराल में,

ऐसे भी क्षण आते रहते हैं।

दिल-दिमाग़ जब थम जाता है,

बस जीवन का आभास है बाक़ी।

       देख क्षितिज पर फैली रोशनी,

       सुबह का सूरज फिर चमकेगा ।

       लिख देंगी फिर भोर की किरणें,

       जो तेरा इतिहास है बाक़ी ।

(इसी संग्रह से )

डी.पी. यादव (D. P. Yadav)

जन्म उत्तर प्रदेश के एक मध्यमवर्गीय किसान परिवार में। शिक्षा : एम.एम.एच. महाविद्यालय, गाज़ियाबाद से स्नातक एवं बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, काशी से अंग्रेज़ी साहित्य में परास्नातक ।बहुमुखी

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