• Out Of Stock

Pakistan Mein Gandhi

Ebook
Hindi
144
If You are Pathak Manch Member ?

₹0.00

पाकिस्तान में गाँधी

रंगमंच पर जब किसी नाटक का मंचन होता है तब यह उस मंचन की अनिवार्य शर्त होती है कि दर्शक कुछ घटनाओं की पूर्व पीठिका से परिचित हों। वे यह मान कर चलें कि जो मंचित किया जायेगा, कुछ घटनाएँ उसके पहले हो चुकी होंगी और कुछ घटनाएँ उसके बाद होंगी। असगर वजाहत का यह नाटक पाकिस्तान में गाँधी ऐसे ही कुछ ऐतिहासिक तथ्यों के पूर्व ज्ञान की माँग करता है।

यह एक ऐतिहासिक तथ्य है कि गाँधी जी विभाजन के तत्काल बाद, बगैर वीज़ा - पासपोर्ट के पाकिस्तान जाना चाहते थे और इस बारे में उन्होंने जिन्ना से पत्र व्यवहार किया था। जिन्ना ने कुछ शर्तों के साथ इस पर सहमति भी जताई थी।

यह भी एक ऐतिहासिक सत्य है कि सीमा के उस पार पाकिस्तान में गाँधी जी का आदर करने वाले, उनसे प्यार करने वाले और उनकी बातों को गम्भीरता से सुनने वाले लोग बहुतायत में थे । इस योजना के फलीभूत होने से पहले दुर्भाग्यपूर्ण ढंग से गाँधी जी की हत्या हो गयी और यह यात्रा नहीं हो पायी ।

यह नाटक उन परिस्थितियों की कल्पना करता है जब गाँधी जी पाकिस्तान पहुँच जाते हैं। इस दौरान क्या होता है, उदारवादी और कट्टरपन्थी गाँधी जी की इस यात्रा को कैसे ग्रहण करते हैं

और इस पर कैसी राजनीतिक-सामाजिक और भावनात्मक हलचलें होती हैं यह तो इस नाटक का कथानक है और इस स्थान पर इसका रहस्योद्घाटन करना किसी भी कारण से वरेण्य नहीं है।

कोई ऐतिहासिक घटना होने को थी और नहीं हुई, अगर होती तो कैसी होती इसे असगर वजाहत 'स्पेक्युलेटिव फिक्शन' कहते हैं। आगे वह यह भी प्रस्तावित करते हैं कि अगर इस तरह के फिक्शन और इतिहास को मिलाकर कोई रचना तैयार की जाये तो उसे इतिगल्प कहा जा सकता है।

तो इस इतिगल्प में अपने-अपने भावनात्मक राजनैतिक और पारिवारिक कारणों से कुछ लोग गाँधी की यात्रा के साथ ही जुड़ जाते हैं और कुछ लोग हैं जो वहाँ गाँधी से मिलते हैं। इस काल्पनिक घटनाक्रम के बीच दर्शक अथवा पाठक अगर लगातार इस बारे में सोचता रहे कि राजनैतिक सीमाएँ, असहमतियाँ और धर्म क्या ऐसी मज़बूत दीवारें हैं कि वे मनुष्य को मनुष्य से अलग कर देती हैं? और अगर ये अलगाववादी शक्तियाँ सफल हो जाती हैं तो ऐसा अलगाव सही है या नहीं उसे प्रश्नांकित किया जाना चाहिए या नहीं? और सबसे बढ़कर यह प्रश्न कि गाँधी जी ऐसी यात्रा से क्या हासिल करना चाहते थे? अगर इनमें से कुछ सवाल भी प्रेक्षक के मन में उठते हैं तो इसे नाटक की सफलता के रूप में देखा जा सकता है।

असगर वज़ाहत (Asghar Wajahat)

असग़र वजाहतहिन्दी के प्रतिष्ठित लेखक असगर वजाहत के अब तक सात उपन्यास, छह नाटक, पाँच कथा संग्रह, एक नुक्कड़ नाटक संग्रह और एक आलोचनात्मक पुस्तक प्रकाशित हैं। उपन्यासों तथा नाटकों के अतिरिक्त उ

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter