महादेवी प्रतिनिधि कविताएँ - "अप्रतिहत आराधना की वेदी पर प्रत्येक साँस न्यौछावर कर देने के लिए आतुर महिमामयी महादेवी (विस्तृत परिचय पुस्तक के आरम्भ में) का समस्त जीवन मन्दिर की आरती के समान इष्टदेव के प्रति समर्पित रहा है। वे स्नेह, मैत्री और करुणा की कवि हैं, मधुर-मधुर जलनेवाले दीपक के समान, युग-युग, प्रति क्षण, प्रति पल अपने उसी प्रियतम का पथ आलोकित करने के लिए आकुल। उन्होंने अपने समस्त जीवन को दीपशिखा के समान प्रज्वलित कर युग की देहरी पर ऐसे रख दिया है कि भीतर और बाहर दोनों ओर उजियारा हो रहा है।" ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित महादेवी का समस्त साहित्य आस्था, उपासना और उत्सर्ग का साहित्य है। नीहार, रश्मि, नीरजा, सान्ध्यगीत और दीपशिखा उनकी मंगलमय काव्य-यात्रा के ज्योतिर्मय चरण-चिह्न हैं। प्रस्तुत पुस्तक महादेवी की काव्य-सर्जना का प्रतिनिधि संकलन है, जिसमें भारतीय वाङ्मय के श्रेष्ठतम का अनुवाद 'सप्तपर्णा' के अंश भी सम्मिलित हैं। साहित्य-प्रेमियों को समर्पित है, इस संकलन का एक और नवीन संस्करण।
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