"यह
गहन विचारोत्तेजक रूप से अनुवादित उपन्यास हमें एक पहाड़ी समुदाय के धड़कते दिल
में ले जाता है क्योंकि यह आशाओं, आकांक्षाओं और टूटे सपनों को परखता है।
'फाल्सुङ्ग' वास्तव में मिट्टी की कहानी है और इसमें जीवन की साँस है। भाषा और
संस्कृति की हदों को पार करता हुआ यह सम्पूर्ण कथानक दरअसल मानवता की कथा कहता
है और सहज ही हृदय को स्पर्श करता है ।" नमिता गोखले लेखिका, 'जयपुरनामा' प्रकाशक व सह-निदेशक, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल |
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