Nahin, Kahin Kuchh Bhi Nahin...

Paperback
Hindi
9789352291533
2nd
2014
312
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नहीं, कहीं कुछ भी नहीं -
तसलीमा नसरीन बांग्लादेश की प्रगतिवादी लेखिका हैं जो अपने लेखन में अक्सर ही ऐसे पक्षों को उजागर करती हैं जिन्हें बहुत बार अनदेखा कर दिया जाता है। प्रस्तुत पुस्तक उनकी आत्मकथा का 6वाँ खण्ड है जो उनके सुधि पाठकों के सामने है। इस पुस्तक को उन्होने अपनी माँ को समर्पित किया है जिसमें उनके जीवन के वे क्षण दर्ज हैं जो उन्होंने अपनी माँ को केन्द्र में रख कर लिखे हैं।

सुशील गुप्ता (Sushil Gupta)

सुशील गुप्ता  लगता है, मैं किसी ट्रेन में बैठी, अनगिनत देश, अनगिनत लोग, उनके स्वभाव-चरित्र, उनकी सोच से मिल रही हूँ और उनमें एकमेक होकर, अनगिनत भूमिकाएँ जी रही हूँ। ज़िन्दगी अनमोल है और जब वह शुभ औ

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तसलीमा नसरीन (Taslima Nasrin)

तसलीमा नसरीन ने अनगिनत पुरस्कार और सम्मान अर्जित किये हैं, जिनमें शामिल हैं-मुक्त चिन्तन के लिए यूरोपीय संसद द्वारा प्रदत्त - सखारव पुरस्कार; सहिष्णुता और शान्ति प्रचार के लिए यूनेस्को पुरस

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