ओ, जीवन के शाश्वत साथी - इस जगत के चैतन्य में प्रार्थना के शब्द गूँज रहे हैं। अहर्निश हाथ ऊपर उठे हुए हैं। कविता उस अस्तित्व के साथ जुड़ने का माध्यम है, जिसके कारण व्यक्ति यात्रा पथ पर प्रगति करता है। मेरे लिए कविता का अर्थ प्रकृति के सन्देश को पकड़ना है, जिसके हम भी एक अवयव है। जैसा मन का स्वभाव या गुण होता है वैसा ही मनुष्य होता है। मन का कार्य है आत्मा से प्राप्त सन्देशों को क्रियान्वित कराने का संकल्प करना। कविता से ही उस संकल्प को अमिट बनाने की प्रेरण मिलती है। हमारे जीवन में जो कुछ भी घटित होता है, उसमें काव्यरस होता है। रस के बिना जीवन बेरंग है। यह मन को उद्वेलित करती है। कविता मन पर प्रभाव डालती है। और मनुष्य के स्वभाव को शुभ और सगुण से पोषित करती है। जीवन में ज़्यादा दुख है, क्योंकि हमारा देह और मन स्वस्थ नहीं है। देह स्वस्थ हो और मन सजग हो इसके लिए कविता ज़रूरी है। कविता पूर्णिमा की चाँद की तरह है, जो अन्धकार से अठखेलियाँ करती हुई हमारे जीवन में माधुर्य और रस की बरसात करती है। हमारी चेतना सजीव हो। इसलिए मैं कविता लिखता हूँ। इसके पूर्व मेरा एक कविता संग्रह—"यात्रा बीच ठहरे कदम" प्रकाशित हो चुका है। इसपर कई लोगों ने अच्छी प्रतिक्रियाँ दीं और कई की प्रतिक्रिया ने मुझे कुछ सीखने का अवसर प्रदान किया। उन सीखों को इस कविता संग्रह "ओ, जीवन के शाश्वत साथी" में समावेशित किया हूँ।
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