बुरांश - 'बुरांश' स्वाति मेलकानी का दूसरा कविता संग्रह है। उनका प्रथम संग्रह 'जब मैं ज़िन्दा होती हूँ' भारतीय ज्ञानपीठ की नवलेखन श्रृंखला के अन्तर्गत 2014 में प्रकाशित हुआ था। स्वाति मेलकानी सन्तुलित एवं प्रभावी भाषा की धनी हैं। उनकी कविताओं के विषय अपने विस्तार को सीमा में नहीं बाँधते। विविध विषयों पर लिखी इन कविताओं में सशक्त बिम्बों का अनूठा प्रयोग है। स्वाति की कविताएँ पहाड़ का प्रतिनिधित्व करने के साथ-साथ वैश्विक अनुभूतियों को भी सहेजती हैं। उनकी दृष्टि व्यापक एवं सूक्ष्म है। कोमल मानवीय भावबोध एवं विराट वैश्विक विमर्शों का दुर्लभ समागम इन कविताओं में देखने को मिलता है। एक अति पठनीय कृति।
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