उन आँखों की कथा -
तेलुगु के लब्धप्रतिष्ठ कहानीकार एवं उपन्यासकार रावूरि भरद्वाज जनमानस की गहराइयों को जनभाषा में सहज रूप से चित्रित करने में सिद्धहस्त हैं। उनके अक्षर निरक्षर हृदय को भी साक्षर बना देते हैं। उनकी लेखनी में एक ऐसी स्पर्शवेदिता है कि वहाँ तक पहुँचते ही कोई भी घटना अपनी कहानी इस प्रकार सुनाने लगती है कि वह किसी प्रसंग तक सीमित न रहकर हमेशा के लिए प्रासंगिक बन जाती है।
कथा-साहित्य में भरद्वाज ने अपने लिए एक विशिष्ट स्थान बना लिया है। अपनी कहानियों में वे सामाजिक कुरीतियों, कुप्रथाओं पर व्यंग्य-प्रहार तो करते ही हैं, जीवन में अभावों और दारिद्रय के स्वयं भुक्तभोगी होने के कारण दलित, पीड़ित और शोषित लोगों की मानसिक वेदना की गहराइयों को भी पैनी दृष्टि से आँक सके हैं।
साथ ही, प्रस्तुत संकलन की कहानियों में माँ की ममता है, दिल की बात है, सत्य की कथा है और कड़वा सच भी है। चींटी, मच्छर और चूहे से लेकर डॉक्टर, नेता और यहाँ तक कि भगवान भी इनमें आ घुसते हैं और पाठकों के दिल में बस जाते हैं।
भारतीय ज्ञानपीठ इस प्रकाशन को अपनी एक बहुत बड़ी उपलब्धि मानता है।
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