तुम कहो तो... – साहित्य की अनेक विधाओं में साधिकार लिखते हुए डॉ. सीतेश आलोक ने गत दो-तीन दशकों में अपनी विशिष्ट पहचान बनायी है विशेषकर कथा-लेखन एवं यात्रा वृत्तान्त के क्षेत्र में। बहुमुखी प्रतिभा के धनी सीतेश आलोक की संवेदनात्मक दृष्टि हमारे आसपास घटनेवाली घटनाओं में से नितान्त अनछुए कथानक ही नहीं ढूँढ़ती, उन्हें सर्वथा मौलिक दृष्टिकोण देकर एक नये परिप्रेक्ष्य में देखने-परखने की क्षमता भी रखती है। उनकी कहानियाँ न तो किसी साँचे में ढलकर निकलती हैं और न किसी 'वाद' अथवा पूर्वाग्रह के रंग में रँगकर आती हैं। मन को छूनेवाली कोई भी घटना, कोई भी परिस्थिति, अवसर पाकर, किसी स्मरणीय रचना का रूप ले लेती है। उनके कथानक जाति, सम्प्रदाय, धर्म आदि की सीमाओं को ही नहीं, भौगोलिक सीमाओं को भी पार करते हुए मानव-मन की ग्रन्थियों का विश्लेषण करते दिखाई देते हैं। विश्वास है कि सीतेश आलोक की ये कहानियाँ पाठकों को पसन्द आयेंगी।
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