भारतीय कविताएँ : 1984 - प्रति वर्ष स्फुट रूप से स्थापी महत्व की कई रचनाएँ प्रकाशित होती है और सामान्य रचनाओं की भीड़ में सो जाती है। यदा-यदा चर्चित होती है, रेखांकित भी होती है, किन्तु एक स्थान पर सहेजी नही जाही। अन्य भाषाओं की उपलब्धियों से साक्षात्कार तो दुर्लभ ही है, हम अपनी ही भाषा की सर्वोत्तम कृतियों से अपरिचित रह जाते है। परिचय होता भी है तो बस क्षण मात्र के लिए। यों हम सभी न्यूनाधिक यह अनुभव और स्वीकार करते हैं कि भारतीय साहित्य विभिन्न भाषाओं में रचे जाने पर भी कहीं-न-कही, किसी-न-किसी रूप में एक मुख्य धारा से सम्पृक्त है। भाषा विशेष के साहित्य के सही मूल्यांकन एवं सच्चे आस्वाद के लिए उसे समग्र भारतीय साहित्य के परिदृश्य में रखकर देखा जाना नितान्त आवश्यक एवं वांछनीय है। 'भारतीय कविताएँ : 1984' सभी भाषाओं की पाँच-पाँच प्रतिनिधि कविताओं की महत्वपूर्ण चयनिका है। चुनाव केवल उन्हीं रचनाओं से किया गया है जो लिखी चाहे कभी भी गयी हों, पुस्तक, पत्र-पत्रिका, आकाशवाणी, दूरदर्शन आदि के माध्यम से पहली बार सन् 1984 में ही प्रकाश में आयीं। इससे 1984 की विशिष्ट कविताएँ एक ही स्थान पर उपलब्ध एवं सुरक्षित हो सकेंगी और समकालीन भारतीय कविता के प्रति जिज्ञासु काव्य प्रेमियों को इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा। पाठकों की बढ़ती हुई अपेक्षाओं और माँग कोदेखते हुए प्रस्तुत है इस कृति का दूसरा संस्करण!
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