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Astarag

Hardbound
Hindi
NA
1st
1991
144
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₹55.00

अस्तराग - होमेन बरगोहाईं का उपन्यास 'अस्तराग' मात्र एक कल्पना नहीं है, बल्कि यथार्थ जीवन बोध से गहराई से जुड़ी हुई एक अनूठी ही रचना है। रचनाकार स्वयं अपने जीवन यथार्थ, अपने कुटुम्ब-परिवार, अपने गाँव-गिराँव और उसकी उन्मुक्त प्रकृति तथा अपने अन्य इष्ट मित्रों सहित इसमें सर्वत्र विद्यमान है। शहर में अपने निजी परिवार में आकर दिलीप के ग्रामवासी वृद्ध पिता शीघ्र ही गाँव लौट जाने को आकुल-व्याकुल हो उठते हैं। अपरिचित अपनों की अपेक्षा परिचित पराये उन्हें अधिक निकट जान पड़ते हैं। कथानक के इसी तथ्य को आधार बनाकर लेखक ने वर्तमान जीवन की विश्रृंखलताओं का बड़ा ही मनोविश्लेषणात्मक एवं तर्कपूर्ण चित्र उकेरा है। श्री दिनेश गोस्वामी के शब्दों में, 'यह जीवन के माधुर्य और विषाद की कहानी है।' 'अस्तराग' एक पीढ़ी की अस्तगामी यात्रा का करुण वृत्तान्त तो है ही, यह उभरती पीढ़ी के हृदय में चिन्तन-मनन की एक नयी रागिनी के स्वर को झंकृत करने का एक सुन्दर प्रयास भी है।

होमेन बोर्गोहैन (Homen Borgohain )

होमेन बरगोहाईं - असमिया कथा-साहित्य की मनोविश्लेषण एवं अस्तित्ववादी शैली के सबल स्तम्भ और यशस्वी कृतिकार श्री होमेन बरगोहाईं का जन्म 1931 में असम के उत्तर लखीमपुर ज़िले के ढकुवाख़ाना ग्राम मे

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