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Antara

Hardbound
Hindi
8126308451
1st
2003
96
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₹50.00

अन्तरा - मंजुला चतुर्वेदी की कविताएँ पारम्परिक अर्थों में प्रेम कविताएँ नहीं हैं। यहाँ प्रेम और जीवन की जुगलबन्दी है। प्रेम जीवन के एक आवश्यक हिस्से की तरह काव्य के क्षितिज पर ससन्दर्भ उपस्थित है। ‘धूप का एक सुनहरा बूटा' जब अन्तस के संवादों में धीरे से रेंगकर सरक आता है तब मंजुला चतुर्वेदी की कविताओं का रंग आकर्षक हो जाता है। कविता के आकाश में कभी-कभी विरह और छलना के काले बादल भी घिरते हैं। कवियत्री ज़िन्दगी के ऊँच-नीच भी समझती हैं। सत्य के सगुण साक्षात्कार के अनुभव भी उनकी कविताओं में दर्ज हैं। संवेदनाओं की पूँजी के साथ मंजुला चतुर्वेदी 'अन्तरा' में भविष्य के दरवाज़े पर दस्तक देती दिखती हैं।

मंजुला चतुर्वेदी (Manjula Chaturvedi)

डॉ. मंजुला चतुर्वेदी - जन्म: 11 मई, 1957 आगरा (उ.प्र.) में। शिक्षा: आगरा विश्वविद्यालय से एम.ए., पीएच.डी. (चित्रकला)। अध्यापन: 1978 से आगरा एवं वाराणसी में ललित कला में शैक्षणिक कार्य। सम्प्रति महात्मा गाँ

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