अनय - श्री अरविंद गोखले मराठी नवकथा के अभिन्न प्रेमी और जाने-पहचाने हस्ताक्षर हैं। उनके विशाल कथा-लोक की यह विशेषता है कि उनके हाथों कहानी अपने रेखित ढाँचे से हटकर ज़िन्दगी के विविध पहलुओं को विभिन्न स्तरों पर तलाशती, तराशती रहती है और फिर एक सौन्दर्यबेधी आस्वादक की सहज सुन्दर रचना का रूप धारण कर लेती है। कहानी को प्रचलित बद्धता से मुक्त करते हुए भी प्रस्तुत कृतिकार का पैंतरा आक्रामक, क्रान्तिकारी या परम्परा को नष्ट करने वाला नहीं होता। बग़ैर किसी शोर-शराबे के वह अपना रास्ता स्वयं खोज लेते हैं और किसी तात्त्विक वाद-प्रतिवाद में न पड़कर एक सौम्य और संयमित कलाकार के रूप में अपनी स्वतन्त्रता अबाधित बनाये रखते हैं, और यही उनका मराठी कथा-रचना के इतिहास को महत्त्वपूर्ण योगदान है। उनके कहानी लेखन का सबसे सशक्त पहलू है नारी-पात्रों के स्वभाव का चित्रण। नारी-जीवन और उसके स्वभाव की कई बड़ी-छोटी बारीकियों को वे सूक्ष्म नज़र से देखते हैं, उनके मन की गहराइयों में झाँकते हैं, अपनी मर्यादाओं के भीतर उसे सृजनात्मक दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करते हैं, और तब उतनी ही कुशलता से उसे पाठकों के सामने प्रस्तुत कर देते हैं। 1940 से अब तक की लेखक की दीर्घ एवं समृद्ध रचना-यात्रा से उभरी वैविध्यपूर्ण कहानियों में से चुनकर सँजोया हुआ यह संकलन निश्चित ही हिन्दी जगत के पाठकों को रोचक लगेगा, उन्हें पूर्ण सन्तुष्टि देगा।
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