अनकहा सच - उन्नीसवीं सदी के पूर्वार्ध में, भारतीय ग्रामीण परिवेश में जीवनयापन करने वाली एक साधारण स्त्री के असाधारण व्यक्तित्व की यथार्थ कथा है यह उपन्यास—— अनकहा सच। कहानी के कुछ पात्र और घटनाएँ काल्पनिक हैं किन्तु नायिका का चरित्र वास्तविक है जो प्रत्येक प्रगतिशील स्त्री के लिए प्रेरणास्पद है। हमारे समाज का यथार्थ है कि वह नारी की अस्मिता को स्वीकृत तो करता है किन्तु उसे समष्टि के समक्ष अभिव्यक्त करने से परहेज़ करता है। इस पीड़ा,इस छटपटाहट के परिणामस्वरूप निर्मित सुनील सांधेलिया की इस कृति में छोटे-छोटे संवाद और प्रसंगों के माध्यम से स्त्री के महत्व को बख़ूबी रेखांकित किया गया है। एक पठनीय कृति ।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review