वर्ष 1987 के ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित मराठी साहित्यकार वि.वा. शिरवाडकर 'कुसुमाग्रज' साहित्य की अन्य विधाओं में उल्लेखनीय उपलब्धियों के बावजूद मूलतः कवि एवं नाटककार हैं। उनके अधिकतर नाटक गडकरी की नाटकीय प्रस्तुतियों की काव्यात्मक शैली की परम्परा में आते हैं। फिर भी अनेक विशेषताओं के कारण वे उनसे भिन्न तथा विशिष्ट हैं। 'ययाति' और 'नटसम्राट' उनकी मौलिक प्रतिभा के जीवन्त प्रमाण हैं।
भारतीय ज्ञानपीठ शिरवाडकर जी के दो महत्त्वपूर्ण नाटकों 'मुख्यमन्त्री' 'विदूषक' के हिन्दी रूपान्तर प्रस्तुत कर रहा है। ये दोनों ही नाटक मराठी नाट्य-परम्परा—यहाँ तक कि शिरवाडकर जी की अपनी ही परम्परा तक से परे हैं। 'मुख्यमन्त्री' राजनीतिक व्यंग्य है। इसमें महात्मा गाँधी की सात्त्विक विचारधारा में रचे-पगे बचे-खुचे आदर्शोन्मुख राजनीतिज्ञों को दिखाया गया है, जो आज के राजनीतिक प्रपंचों में फँस, विवश एवं प्रभावहीन होकर छटपटाते रह जाते हैं और उससे उबर नहीं पाते।
'विदूषक' एक सामाजिक व्यंग्य है जिसका नायक चार्ली चैप्लिन का प्रतिरूप है, जो सहज आचरण करते हुए भी हँसी का पात्र बन जाता है और मानवीय संवेदना जीते हुए भी जिसके हाथ शून्य ही लगता है।
हमें विश्वास है कि सर्वश्रेष्ठ मराठी साहित्यकार की ये दो विलक्षण कृतियाँ हिन्दी नाट्य प्रेमियों को बहुत ही रास आयेंगी।
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