Mookajjee

Hardbound
Hindi
8126313854
9788126313853
12th
2011
223
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मूकज्जी - 'मूकज्जी' अर्थात् मूक आजीमाँ, एक ऐसी विधवा वृद्धा, जिसमें वेदना सहते-सहते, मानवीय विषमताओं को देखते-बूझते, प्रकृति के खुले प्रांगण में बरसों से पीपल तले उठते-बैठते, सब कुछ मन-ही-मन गुनते, एक ऐसी अद्भुत क्षमता जाग्रत हो गयी है कि उसने प्रागैतिहासिक काल से लेकर वर्तमान तक की समस्त मानव सभ्यता के विकास को आत्मसात् कर लिया है।... मूकज्जी की दृष्टि में जीवन जीने के लिए है। जिसने जीवन को जीना नहीं जाना, उसका तत्त्व-चिन्तन, उसकी तपस्या और उसका संन्यास स्वस्थ नहीं है। 'नास्तिकता' तो यहाँ नहीं ही है, किन्तु 'अन-आस्तिकता' यदि यहाँ है तो यह निषेध की दृष्टि नहीं है, स्वीकृति की दृष्टि है।

के . शिवराम कारन्त (K. Shivaram Karanth)

के. शिवराम कारन्त - जन्म: 10 अक्टूबर, 1902, कर्नाटक। कॉलेज की शिक्षा आधी-अधूरी। 1921 में गाँधी जी के आन्दोलन से प्रेरित हो देशव्यापी रचनात्मक कार्य के लिए समर्पित। आजीवन कन्नड़ साहित्य और संस्कृति क

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