छोटे राजा - ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित कन्नड़ कथाकार मास्ति वेंकटेश अय्यंगार के सर्वाधिक उल्लेखनीय ऐतिहासिक उपन्यास 'चिक्क वीरराजेन्द्र' का हिन्दी रूपान्तर है-‘छोटे राजा'। यह मैसूर के निकट एक छोटे-से भू-प्रदेश कोडग राज्य के अन्तिम शासक की कहानी है। सुशील एवं बुद्धिमती रानी तथा दो योग्य मन्त्रियों के होते हुए भी अपनी चारित्रिक दुर्बलताओं के कारण उसे अपने विनाश से कोई नहीं रोक पाया। इतना ही नहीं बल्कि अंग्रेज़ों द्वारा पराजित कर दिये जाने पर उसे निर्वासन का तिरस्कार भी सहना पड़ा। 'छोटे राजा' एक शासक के विनाश की कथा ही नहीं है बल्कि एक समाज की निरीहता की भी कहानी है। कन्नड़ के ऐतिहासिक उपन्यासों में किसी समाज का और उसके विभिन्न अंगों का ऐसा सजीव चित्रण अन्यत्र कम ही मिलता है। अपने ऐतिहासिक उपन्यासों में मास्ति जी का मूल उद्देश्य समाज के उत्थान-पतन का अध्ययन करना रहा है। उनके अनुसार, व्यक्ति के पतन का मुख्य कारण उस व्यक्ति में ही निहित होता है। लेकिन यह भी सत्य है कि नियति के अदृश्य हाथों की प्रबल भूमिका भी वहाँ सक्रिय रहती है।
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