आँसू - जयशंकर प्रसाद हिन्दी साहित्य के भावुक और अनन्य कवि हैं। संवेदना उनके काव्य का प्रमुख गुण है और इसकी सूक्ष्म अभिव्यक्ति उनकी छन्दबद्ध कविता 'आँसू' में दृश्यमान है। 'आँसू' कविता का मुख्य भाव विरह-श्रृंगार है जो प्रेम की स्मृति का आकाश निर्मित करती है। यह आकाश विराट होने के साथ गहरा, कोमल और सत्य है। जिस तरह मनुष्य जीवन में कई अभिलाषाएँ निर्मित करता है और अपनी प्रत्येक अभिलाषा को सत्य के धरातल पर लाने के लिए संघर्ष करता है, उसी तरह प्रेम भी मनुष्य जीवन की एक सुन्दर अभिलाषा है जिसे पाने के लिए मनुष्य करुण वेदना की पुकार में अपना अस्तित्व खो देता है। यह एक प्रकार की मूर्छा है और कवि ने इसी विरह भाव से कविता 'आँसू' द्वारा स्वयं को अभिव्यक्त किया है।
Log In To Add/edit Rating