Dastak

Yashoda Singh Author
Hardbound
Hindi
9789350722954
1st
2012
168
If You are Pathak Manch Member ?

दस्तक -
मामूली लोगों की ग़ैर-मामूली सहभागिता और पारस्परिकता के ताने-बाने को परत-दर-परत उजागर करती एक संवेदनशील मानवीय जीवन-गाथा।
हसीना ख़ाला को जानने के लिए आपको उनकी दुनिया में, उनकी बस्ती में रहना होगा। वरना तो वो नामहसूस अन्दाज़ में आपकी बगल से गुज़र जायेंगी और आपको पता भी नहीं चलेगा। इस किताब के सफों पर हसीना ख़ाला की इसी शख़्सियत के वो पहलू सामने आते हैं जो दुनिया भर की किसी भी मेहनतक़श आबादी को उसकी ख़ास शोखी देते हैं - आपसदारी और वक़्त ज़रूरत काम आना। यहाँ ज़िन्दगी के कारोबार में हसीना ख़ाला के साथ-साथ चलते हुए इस घनी बस्ती के भीतर इन्सानी वजूद के एक से एक रंग परत-दर-परत सामने आते हैं। हसीना ख़ाला, जो अपनी ज़िन्दगी की तरह कभी ठहरती नहीं। “हसीना जी एक चलती-फिरती, हर पल 'मोबाइल', कोई दरवेश जैसी हैं। एक हॉस्पिटल ऑन फुट। एक काउंसिलर। एक कोई दुआख़ाना-दवाख़ाना। मनुष्यता की एक ऐसी 'डिस्पेंसरी' जहाँ हर विपदा आफ़त का मारा परिवार आकर अपनी ज़िन्दगी हासिल करता है। मुश्किल ज़िन्दगी जीने के सहज नुस्खे।" ऐसी ही हैं हसीना ख़ाला, आम फिर भी ख़ास। जरा सोचें, हम रोज़ ऐसी कितनी शख़्सियतों के बगल से गुज़र जाते होंगे....।

यशोदा सिंह (Yashoda Singh)

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

E-mails (subscribers)

Learn About New Offers And Get More Deals By Joining Our Newsletter