असग़र अली इंजीनियर, देश के उन चुनिन्दा समाजशास्त्रियों में से हैं जो भारतीय समाज में फैली साम्प्रदायिकता जैसी बीमारी के तह तक जाने की कोशिश करते हैं और उसके प्रतिफलन साम्प्रदायिक दंगों का बारीक अध्ययन कर उन्हें रोकने में राज्य की असफलता के कारणों को रेखांकित करते हैं। गहरी प्रतिबद्धता के साथ वे अपने समाज की बुराइयों से जूझते नजर आते हैं। जिस बोहरा समाज से वे आते हैं उसमें व्याप्त कुरीतियों से भी वे जीवन भर लड़ते रहे हैं और शारीरिक तथा आर्थिक क्षतियों के रूप में उन्होंने खमियाजा भी भुगता है। अलग-अलग समय पर पत्र-पत्रिकाओं में लिखे गये उनके लेख भारतीय समाज की उनकी गहरी समझ, कट्टरता के विरुद्ध उनकी प्रतिबद्धता और निर्भीक बयानी के लिए प्रसिद्ध उनकी ख्याति के अनुरूप हैं। किसी भी ऐसे शोधार्थी के लिए जिसकी दिलचस्पी भारतीय समाज को समझने में है, असग़र अली इंजीनियर का लेखन एक अनिवार्य पाठ्य सामग्री की तरह है। उन्हें पढ़कर भारत की जटिल सामाजिक संरचना और यहाँ मौजूद दो बड़े धर्मों – हिन्दू और इस्लाम में विश्वास रखने वालों के बीच के आपसी रिश्तों को समझने में मदद मिलेगी।
- विभूति नारायण राय
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