Khoi Hui Cheejen

Hardbound
Hindi
9789387648654
1st
2022
207
If You are Pathak Manch Member ?

के. सच्चिदानन्दन अपनी कविताओं में शब्द संकेतों द्वारा विराट को रचने वाले कवि हैं। वे जीवन, स्वप्न और कल्पनाओं के कणों को एकत्र करते हैं और उन्हें क़लमबद्ध करते हुए इनके अर्थों को रचते हैं। वे अपनी कविताओं के विशाल फलक द्वारा यह भी सिद्ध करते हैं कि दरअसल अर्थ में किसी कविता की जागृति बार-बार होती है।


खोयी हुई चीजें कविता संग्रह में मानव हृदय की असीम संवेदनाएँ हैं जिनमें प्रेम का आख्यान, चेतना की उपस्थिति और आशाओं के प्रति निष्ठा का उच्च भाव है। इन भावों में एक तरह की मुग्धता का रहस्य भी है। यह रहस्य कपास के एक नन्हे फूल समान भारहीन है जो कवि के हृदय से यात्रा करता हुआ देशकाल की सीमाओं को पार कर जाता है। यह रहस्य समय की सबसे सूक्ष्म इकाई में चैतन्य की रचना करता है।


प्रस्तुत संग्रह की कविताएँ मूलतः मलयालम भाषा में लिखी गयी हैं जिनका हिन्दी अनुवाद अपनी भाषा की समर्थ कवि और लेखक अनामिका ने सहृदयता, कोमलता और इन कविताओं की करुणा को जस का तस रखकर किया है। अनुवाद कार्य एक यज्ञ समान होता है और अनामिका ने इस यज्ञ में अपने समय, मन, भाषा-ज्ञान, हार्दिकता और तकनीकी श्रम की आहुति द्वारा इसे सफल बनाया है।


वाणी प्रकाशन ग्रुप यह संग्रह 'वाणी भारतीय कविता अनुवाद श्रृंखला' के अन्तर्गत प्रकाशित कर भारतीय भाषाओं में एक सेतु का निर्माण करते हुए प्रसन्न व गौरवान्वित है।समकालीन भारतीय कविता-परिदृश्य से ये जो विशिष्ट कवि मैंने आनुवादिक गपशप के लिए चुने हैं हिन्दी के लिए उनके मन में गहरा अनुराग रहा है, खासकर हिन्दी कविता के लिए! खड़ी बोली हिन्दी भारतीय भाषाओं के संयुक्त परिवार की सबसे छोटी 'कन्या' भाषा है और किसी भी परिवार की सबसे छोटी कन्या की तरह सबकी मुँहलगी और चहेती भी । आधुनिकता के गर्भ से जनमने के कारण यह गहरे अर्थों में जनतान्त्रिक भी रही है : संवाद-अनुवाद- वाद-विवाद की केन्द्रस्थ भाषा, स्वाधीनता आन्दोलन की भाषा - विभिन्न भाषिक संस्कृतियों के बीच पुल बनाने का संस्कार यह घुट्टी में पीकर आयी है । प्यार करना इसको आता है-अहेतुक क़िस्म का प्यार जो देने में ही सुख पाता है, वापस क्या मिला, इस पर कभी ध्यान नहीं देता। जो कवि अपनी भाषा की आन्तरिक संरचना बदलने वाली बंकिमता घटित करता है, हिन्दी उसकी ओर दोनों हाथ बढ़ाकर खड़ी होती है; और बाबा तुलसी ने अतिथि सत्कार का जो व्यंजक चित्र खड़ा किया है, कवि शायद उसी से प्रभावित होकर दूसरी समृद्ध भाषाओं की ओर न जाकर अपनी हिन्दी के पास ही आते हैं-


आवत ही हरषै नहीं नैनन नहीं सनेह,

तुलसी वहाँ न जाइए, कंचन बरसे मेह ।

- अनामिका

अनामिका (Anamika )

साहित्य अकादेमी पुरस्कार तथा अन्य कई राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित अनामिका का जन्म 17 अगस्त, 1961 को मुजफ़्फ़रपुर, बिहार में हुआ। वे दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी की प

show more details..

अनामिका (Anamika )

साहित्य अकादेमी पुरस्कार तथा अन्य कई राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित अनामिका का जन्म 17 अगस्त, 1961 को मुजफ़्फ़रपुर, बिहार में हुआ। वे दिल्ली विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी की प

show more details..

के. सच्चिदानन्दन (K. Satchidanandan)

के. सच्चिदानन्दन द्विभाषी कवि, आलोचक, नाटककार, सम्पादक, कथाकार और यात्रा वृत्तान्त लेखक हैं। मलयालम, अंग्रेज़ी, हिन्दी, अविक, आइरिश, फ्रेंच, जर्मन, इटेलियन, स्पेनिश, चीनी और जापानी भाषा सहित अन

show more details..

My Rating

Log In To Add/edit Rating

You Have To Buy The Product To Give A Review

All Ratings


No Ratings Yet

Related Books