सुदीप सेन अपनी कविताओं में अमूर्तन की भव्यता को रचते हैं। यह भव्यता कविता के शब्दों की उँगलियाँ थाम कर एक मायावी दृश्य में खुद को ढाल लेती है। माया एक रहस्य रचती है और रहस्य एक अँधेरा निर्मित कर लेता है। सुदीप सेन की कविताएँ पढ़ते हुए यह अँधेरा ऐसे महसूस होता है जैसे इस अँधेरे की गुप्त गिरहों में रोशनी के नैसर्गिक जुगनू हैं।- लेकिन यह सत्य इतना क्षणिक और साध्य है कि यहाँ शरीर का कोई श्रम नहीं बल्कि इन्द्रियों • द्वारा एक भाषा को जन्म देना होता है जो इसके रस की बूँदों को ग्रीवा, हृदय और रक्त में महसूस कर सके। इन कविताओं को आध्यात्मिकता के सन्दर्भ में ध्यान की सूक्ष्म क्रिया के समकक्ष रखा जा सकता है।
• जिस कौशल से ईश्वर सम्पूर्ण प्रकृति की संरचना करता है, उसे रूप, गन्ध और स्वर देता है उसी तरह से अपनी कविताओं में सुदीप सेन ने रचनात्मकता के उच्च आदर्शों को अपने काव्य सौन्दर्य के केन्द्र में रखा है।
वे अपने कौशल द्वारा शब्दों से सत्य को अपने भीतर के चन्द्रमा द्वारा रचते हैं। प्रेम, कामना, पुकार, प्रकृति, सूक्ष्म और स्थूल अहसास में घुली यह कविताएँ बोध और कामना के बरअक्स • अपने अस्तित्व में झीनी - झीनी दृश्यमान होती हैं।
प्रस्तुत संग्रह की कविताएँ मूलतः अंग्रेज़ी भाषा में लिखी गयी हैं जिनका हिन्दी अनुवाद अपनी भाषा की समर्थ कवि और लेखक अनामिका ने सहृदयता, कोमलता और इन कविताओं की करुणा को जस का तस रखकर किया है। अनुवाद कार्य एक यज्ञ समान होता है और अनामिका ने इस यज्ञ में अपने समय, मन, भाषा ज्ञान, हार्दिकता और तकनीकी श्रम की आहुति द्वारा इसे सफल बनाया है।
वाणी प्रकाशन ग्रुप यह संग्रह 'वाणी भारतीय कविता अनुवाद श्रृंखला' के अन्तर्गत प्रकाशित कर भारतीय और अन्तरराष्ट्रीय भाषाओं के मध्य एक सेतु का निर्माण करते हुए प्रसन्न व गौरवान्वित है।
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