यान ओत्वेनाशेक का प्रसिद्ध उपन्यास रोमियो जूलियट और अँधेरा सन् 1958 में चेक भाषा में लिखा गया था और मात्र 6 वर्ष बाद सन् 1964 में इसका मूल चेक से हिन्दी में निर्मल वर्मा द्वारा अनुवाद प्रकाशित भी हो गया था।
द्वितीय विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि में किशोर वय के प्रेमियों की कोमल-करुण गाथा शुरू होती है, जिसमें ईसाई लड़का एक यहूदी लड़की को अपने पढ़ने की कोठरी में छिपा देता है, ताकि वह कांसन्ट्रेशन कैंप भेजे जाने से बच जाये। धीरे-धीरे कोठरी से बाहर का जीवन कोठरी के भीतर के जीवन से इतना घुल-मिल जाते हैं कि एक ही प्रश्न बचा रहता है-स्वतन्त्रता क्या है? पृथ्वी पर जीवन के मानी क्या हैं? हिन्दी साहित्य में पहले-पहल यहूदी नर-संहार की पीठिका निर्मल वर्मा के चेक अनुवादों ने ही बनायी - यहाँ यह लक्षित करना आवश्यक जान पड़ता है।
निर्मल वर्मा (Nirmal Verma )
निर्मल वर्मा (1929-2005) भारतीय मनीषा की उस उज्ज्वल परम्परा के प्रतीक-पुरुष हैं, जिनके जीवन में कर्म, चिन्तन और आस्था के बीच कोई फाँक नहीं रह जाती। कला का मर्म जीवन का सत्य बन जाता है और आस्था की चुनौत
यान ओत्वेनाशेकचेकोस्लोवाकिया में जन्मे यान ओत्वेनाशेक (1924- 1979) अपने देश के अग्रणी कथाकार थे। यान ओत्वेनाशेक ने अपनी समूची व्यक्ति सत्ता से उस विभीषिका और वर्वरता को जिया, दूसरे महायुद्ध के दौ