नूपुर-जमुना-बूबू के पारस्परिक पत्रों के आदान-प्रदान के ज़रिये ‘दो औरतों के पत्र' नामक यह पत्र-उपन्यास रचा-गढ़ा गया है। मयमनसिंह के ब्राह्मपल्ली से ले कर ढाका के शान्तिबाग़ तक, नयी दिल्ली के पहाड़गंज से ले कर कश्मीर के श्रीनगर तक, इन पत्रों का भूगोल विस्तृत है! गर्भवती जमुना की, अपनी चारों तरफ़ अनन्त घृणा के बीच, नूपुर की ज़ुबानी प्यार के दो बोल सुनने की अदम्य चाह और आन्तरिक गुहार के साथ इस उपन्यास की परिसमाप्ति होती है।
सुशील गुप्ता (Sushil Gupta)
सुशील गुप्ता
लगता है, मैं किसी ट्रेन में बैठी, अनगिनत देश, अनगिनत लोग, उनके स्वभाव-चरित्र, उनकी सोच से मिल रही हूँ और उनमें एकमेक होकर, अनगिनत भूमिकाएँ जी रही हूँ। ज़िन्दगी अनमोल है और जब वह शुभ औ
तसलीमा नसरीन ने अनगिनत पुरस्कार और सम्मान अर्जित किये हैं, जिनमें शामिल हैं-मुक्त चिन्तन के लिए यूरोपीय संसद द्वारा प्रदत्त - सखारव पुरस्कार; सहिष्णुता और शान्ति प्रचार के लिए यूनेस्को पुरस