Ek Vaimanik Kee Katha

Hardbound
Hindi
9789350721827
2nd
2016
360
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एक वैमानिक की कथा -
यह पहला मौका है, जब एक भारतीय वायुसेना अध्यक्ष अपनी यादों और विचारों के साथ पाठकों के सामने आये हैं। भू. पू. वायुसेना अध्यक्ष पी.सी. लाल का कार्यकाल 1939 के अन्त से 1973 की शुरुआत तक, 33 वर्षों में फैला हुआ है। उनके इस कार्यकाल में द्वितीय विश्व युद्ध का बर्मा अभियान, 1947-1948 का कश्मीर-युद्ध, 1962 में चीन के हाथों हुई पराजय तथा 1965 और 1971 भारत-पाक युद्ध शामिल हैं। वायुसेना में उन्हें 4,274 घण्टे की उड़ान और बापिटिज से लेकर सुपरसोनिक तक 58 क़िस्म के हवाई जहाज़ चलाने का अनुभव था। 1965 में वे उप-वायुसेनाध्यक्ष और 1971 में वायु सेनाध्यक्ष बने। बहुत-से पाठकों को उनकी ईमानदारी और बेबाकी अच्छी लगेगी। लेकिन शायद, चन्द लोग जो इन अनुभवों में शामिल थे,उन्हें कुछ असुविधा भी हो।
एक प्रकार से यह पुस्तक भारत में विमान-चालन की भी कहानी है, ख़ासकर भारतीय वायुसेना की। दूसरे शब्दों में, यह कहानी है तीनों सेनाओं में सबसे कनिष्ठ वायुसेना की उत्पत्ति, विकास और शौर्य की। चर्चिल ने रॉयल एयर फोर्स के बारे में कहा था : "मानवीय संघर्षों के इतिहास में पहले कभी इतने कम लोगों के प्रति इतने ज़्यादा लोग ऋणी नहीं थे।" यह बात भारतीय वायुसेना के विषय में भी सही है।
यद्यपि यह पुस्तक भारतीय वायुसेना का इतिहास होने का दावा नहीं करती, किन्तु इसके बिना उसका कोई भी इतिहास अधूरा रहेगा।

अरुण त्रिपाठी (Arun Tripathi)

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एयर चिफ मार्शल पी.सी. लाल (Air Chif Marshal P.C. Lal)

एयर चिफ मार्शल पी.सी. लालपद्मविभूषण, पद्मभूषण, डी. एफ. सी., भूतपूर्व वायुसेनाध्यक्ष, एयर चीफ़ मार्शल पी. सी. लाल एक विमान चालक थे, और स्वेच्छया योद्धा नहीं थे। उन्होंने किंग्स कॉलेज, लन्दन से पत्र

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