Air Chif Marshal P.C. Lal

एयर चिफ मार्शल पी.सी. लाल
पद्मविभूषण, पद्मभूषण, डी. एफ. सी., भूतपूर्व वायुसेनाध्यक्ष, एयर चीफ़ मार्शल पी. सी. लाल एक विमान चालक थे, और स्वेच्छया योद्धा नहीं थे। उन्होंने किंग्स कॉलेज, लन्दन से पत्रकारिता में डिप्लोमा किया था और क़ानून की पढ़ाई कर रहे थे जब द्वितीय विश्वयुद्ध के कारण पढ़ाई अधूरी छोड़कर उन्होंने वायुसेना में प्रवेश लिया। वे 1944 और 1945 में दो बार बर्मा के सैनिक अभियान में गये थे। दूसरे दौरे में विजयी 7 नम्बर स्क्वाइन के नेतृत्व के लिए उन्हें डी.एफ.सी. सम्मान मिला। फिर उन्होंने वायुसेना मुख्यालय में नीति और योजना विभाग में काम किया। 1950 में वे रॉयल एयरफोर्स स्टाफ कॉलेज, लन्दन से स्नातक हुए। वे कैबिनेट में सेना सचिव थे और फिर एयर ऑफ़िसर कमाडिंग इन चीफ़ ट्रेनिंग कमांड थे। पाँच साल तक उन्होंने इंडियन एयर लाइन्स में काम किया। उन्होंने आठ सम्मिलित वायुसेवाओं (एयर लाइन्स) का काम करना सरल बनाया और पहली बार उसे निरन्तर घाटे में जाने से बचाया। उस समय वे फिर वायुसेना में लौटना चाहते थे, लेकिन रक्षामन्त्री कृष्ण मेनन के साथ उनका दो बार विवाद हुआ, और 30 सितम्बर, 1962 को उनकी सेवा समाप्त कर दी गयी।
इसके बाद भारत-चीन युद्ध हुआ। देश और संसद में काफ़ी शोर-शराबा हुआ था। अब मेनन को गद्दी से उतारने और लाल को वापस बुलाने की बारी थी। तत्पश्चात उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वह हिन्दुस्तान ऐरोनोटिक लिमिटेड के प्रबन्ध निदेशक और बाद में चेयरमैन हुए और उसके बाद वे एयर चीफ़ भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त होने पर उन्हें निजी क्षेत्र में बुला लिया गया। 1980 में एयर इंडिया और इंडियन एयर लाइन्स के संयुक्त अध्यक्ष रहते हुए उन्होंने अवकाश ग्रहण किया। वे कई वर्षों तक नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ ट्रेनिंग इन इंडस्ट्रियल इंजिनियरिंग के अध्यक्ष और भारतीय रिज़र्व बैंक बोर्ड के सदस्य भी रहे।