Pachas Kavitayen Nai Sadi Ke Liye Chayan : Prayag Shukla

Prayag Shukla Author
Paperback
Hindi
9789350722176
1st
2012
106
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पचास कविताएँ : नयी सदी के लिए चयन -

प्रयाग शुक्ल की कविता पिछले पाँच दशकों से स्मृति और वर्तमान क्षण को मानो एक साथ आलोकित करती रही है। उसमें प्रकृति- मनुष्य-समाज-परिवार और बृहत्तर जीवन से जुड़े कई मर्म हैं तो कई अछूते बिम्ब और सारग्राही सन्धान भी हैं। वह एक अरसे से कला पर लिखते रहे हैं और चित्रकला - मूर्तिशिल्प से भी उनकी कविता उपकृत हुई है। उनकी कविता के वास्तुशिल्प में सुघरता है और उसकी भित्ति में गहरी मानवीय संवेदना और चित्रमयता है । उनकी 10 कविता पुस्तकें, 5 कहानी-संग्रह, 3 उपन्यास तथा 4 यात्रा-वृत्तान्त प्रकाशित हैं । संस्मरणों और निबन्धों के भी कुछ संग्रह हैं। बच्चों के लिए लिखना भी उन्हें प्रिय है और बच्चों की कविताओं की संख्या भी बहुतेरी है । कला, रंगमंच, सिनेमा और अन्य कलाओं पर भी हिन्दी-अंग्रेजी में उन्होंने प्रचुर लेखन किया है। उनका सम्पादन कार्य भी बहुतेरा है । हिन्दी की नदी सम्बन्धी कविताओं से लेकर हिन्दी की कला सम्बन्धी कविताओं के संचयन उनके खाते में हैं तो नाटककार विजय तेंडुलकर पर चर्चित पुस्तक का सम्पादन भी । उन्हीं का सम्पादित 'कल्पना' का काशी अंक अत्यन्त चर्चित और प्रशंसित है। बाङ्ला और अंग्रेजी से बहुतेरा अनुवाद कार्य भी उन्होंने किया है। रवीन्द्रनाथ ठाकुर की 'गीतांजलि' का अनुवाद और ओक्ताविओ पाज की भारत सम्बन्धी कविताओं के अनुवाद इस सिलसिले में विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। हाल ही में किये गये तसलीमा नसरीन की कविताओं के अनुवाद भी चर्चित हुए हैं। स्वयं उनकी कविताओं के अनुवाद जर्मन, रूसी, जापानी, स्पानी आदि में हुए हैं और भारतीय भाषाओं में से बाङ्ला, गुजराती, असमिया, मलयालम और मराठी में उनकी गद्य-पद्य रचनाएँ अनूदित हुई हैं। यात्रा-प्रिय प्रयाग शुक्ल ने देश-विदेश की बहुतेरी यात्राएँ की हैं, जिनमें जर्मनी, जापान, रूस, चीन, ब्रिटेन, नार्वे, अमेरिका, फ्रांस की यात्राएँ शामिल हैं। उन्होंने कई कला-प्रदर्शनियाँ क्यूरेट की हैं और बारह वर्षों तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की पत्रिका 'रंग प्रसंग' के सम्पादन के साथ ही 'श्रुति' मासिक गोष्ठी का संचालन किया है। वह 'कल्पना', 'दिनमान' जैसी पत्रिकाओं के सम्पादक-मंडल के सदस्य रहे हैं और उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें साहित्य अकादेमी का अनुवाद पुरस्कार, शरद जोशी सम्मान, द्विजदेव सम्मान और दिल्ली की हिन्दी अकादेमी का कृति पुरस्कार शामिल हैं। वे इन दिनों संगीत नाटक अकादेमी की पत्रिका 'संगना' के सम्पादक हैं।



अन्तिम पृष्ठ आवरण -
हर क्षण साथ हैं
रश्मियाँ सूर्य-चन्द्र की
हर क्षण आकाश!
हवा, हर क्षण।
धरती भी, पैरों के नीचे!

जल -
वही नहीं है साथ हर क्षण।
कहीं तल-अतल में है
दूर, नदी-समुद्र - बादल-ताल में,
उसे लाना ढोना उगाहना उलीचना
पड़ता है-

हाँ, वह खींचता है
अपनी ओर हर क्षण।
वही सींचता।
जल !!

प्रयाग शुक्ल (Prayag Shukla)

प्रयाग शुक्ल कवि, कथाकार, निबन्धकार, अनुवादक, कला व फ़िल्म-समीक्षक ।28 मई, 1940 को कोलकाता में जन्म। कलकत्ता विश्वविद्यालय के स्नातक। यह जो हरा है, इस पृष्ठ पर, सुनयना फिर यह न कहना, यानी कई वर्ष समे

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