Wazid Rachanawali

Hardbound
Hindi
9788181436436
1st
2014
256
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यह मध्यकालीन हिन्दी के ऐसे संस्कारी और प्रतिभाशाली रचनाकार के काव्य की प्रस्तुति है जिससे हिन्दी-जगत् पहली बार अपनी समग्र-रचनाओं के साथ परिचित होगा । अभी तक यह माना जाता था कि वाजिद की रचनाएँ अनुपलब्ध हैं। इनके कुछ अरिल्ल अपने भ्रामक व अशुद्ध पाठों के साथ 'पंचामृत' और उसके आधार पर 'सन्त सुधासार' में छपे थे। फिर लम्बे समय तक चुप्पी रही । सन्त-काव्य की अग्रिम पंक्ति का यह कवि गुमनामी में खोया रहा । काव्य की अनुपलब्धता का मिथक जारी रहा। यह न टूटता, यदि सन्त रज्जब द्वारा सम्पादित प्राचीन हस्तलिखित प्रति संज्ञान में नहीं आयी होती। कवि की रचनाएँ ही उनकी सृजनात्मक प्रतिभा का सबसे बड़ा प्रमाण है। वे स्वयं अपनी स्वीकार्यता को बाध्य कर देंगी। वैसे भी गोरखनाथ के शब्दों में 'अतीत

जात्रा सुफल जात्रा बोलै अंमृत बाणीं ।'

गोविंद रजनीश (Govind Rajneesh)

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