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Nirmala

Paperback
Hindi
9789326351270
5th
2020
124
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₹80.00

निर्मला - निर्मला, मुंशी प्रेमचन्द द्वारा रचित प्रसिद्ध हिन्दी उपन्यास है। इसका प्रकाशन सन् 1927 में हुआ था। सन् 1926 में दहेज प्रथा और अनमेल विवाह को आधार बना कर इस उपन्यास का लेखन प्रारम्भ हुआ। इलाहाबाद से प्रकाशित होने वाली महिलाओं की पत्रिका 'चाँद' में नवम्बर 1925 से दिसम्बर 1926 तक यह उपन्यास विभिन्न क़िस्तों में प्रकाशित हुआ। महिला-केन्द्रित साहित्य के इतिहास में इस उपन्यास का विशेष स्थान है। उपन्यास में बेमेल विवाह और दहेज प्रथा की दुखान्त व मार्मिक कथा है। उपन्यास का लक्ष्य अनमेल-विवाह तथा दहेज प्रथा के बुरे प्रभाव को अंकित करना है। निर्मला के माध्यम से भारत की मध्यवर्गीय युवतियों की दयनीय स्थिति का चित्रण हुआ है। उपन्यास के अन्त में निर्मला की मृत्यु इस कुत्सित सामाजिक प्रथा को मिटा डालने के लिए एक भारी चुनौती है। प्रेमचन्द ने भालचन्द और मोटेराम शास्त्री के प्रसंग द्वारा उपन्यास में हास्य की सृष्टि की है। निर्मला के चारों ओर कथा-भवन का निर्माण करते हुए असम्बद्ध प्रसंगों का पूर्णतः बहिष्कार किया गया है। इससे यह उपन्यास सेवासदन से भी अधिक सुग्रन्थित एवं सुसंगठित बन गया है। इसे प्रेमचन्द का प्रथम ‘यथार्थवादी’ तथा हिन्दी का प्रथम ‘मनोवैज्ञानिक उपन्यास’ कहा जा सकता है। निर्मला का एक वैशिष्ट्य यह भी है कि इसमें ‘प्रचारक प्रेमचन्द’ के लोप ने इसे न केवल कलात्मक बना दिया है, बल्कि प्रेमचन्द के शिल्प का एक विकास-चिह्न भी बन गया है।

मुंशी प्रेमचन्द (Munshi Premchand)

मुंशी प्रेमचन्द हिंदी के आधुनिक कथा शिल्पी कहे जाने वाले उर्फ धनपतराय का जन्म लमही के एक सामान्य परिवार में 31 जुलाई 1880 को हुआ था । उनके पिता का नाम अजायब राय और मां का नाम आनंदी देवी था । उनकी कल

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