बकुल कथा - 'बकुल कथा' का संसार अनोखा है, जिसका तादात्म्य हज़ारों-हज़ार पाठक अपने जीवन में और अपने आसपास के क्षेत्रों में आसानी से खोज लेते हैं। आशापूर्णा जी की लेखनी से इस उपन्यास में ऐसे चरित्र भी उद्भूत हुए हैं जो जीवन की स्वच्छन्द हवा में विचरण करते हैं, अनेक सीमाएँ तोड़ते हैं और आगे के किसी भी अवरोध को मानने के लिए तैयार नहीं होते। वास्तव में प्रस्तुत उपन्यास के शोध के हर कंगूरे पर एक-एक दीपक प्रज्वलित है, जिसका प्रकाश परिवेश को आलोकित करता है। और उन दीपकों के नीचे का अँधेरा (?), शायद उसे लेखिका ने स्वयं ही अपनी सहानुभूति में समा लिया है...जिन पाठकों ने आशापूर्णा देवी का 'सुवर्णलता' उपन्यास पढ़ा है, उनके लिए 'बकुल कथा' पढ़ना एक अनिवार्यता है।
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