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Ramchandra Shukla : Kal, Aaj Aur Kal

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Hindi
358
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आचार्य शुक्ल की स्पष्ट मान्यता है कि भाव या मनोविकार अपने आप में शुभ या अशुभ नहीं होते हैं। इन भावों के नियोजन के आधार पर इनके परिणाम तय होते हैं। उनके अनुसार भावक्षेत्र अत्यन्त पवित्र क्षेत्र है।

अपने निहितार्थों की पूर्ति के लिए मनुष्य जाति इसका उपयोग हमेशा से करती आयी है। ‘लोभ' सीमित रूप में मानव समाज में कटुता पैदा करने वाली वृत्ति है, वही उदात्त रूप में समाज कल्याण का औज़ार बन जाती है। ‘देश-प्रेम' को वे 'लोभ' का ही उदात्त रूप मानते हैं।

- इसी पुस्तक से

अभय कुमार ठाकूर (Abhay Kumar Thakur)

अभय कुमार ठाकुरजन्म : 04 फ़रवरी 1972, बेगूसराय, बिहार ।शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा ग्रामीण विद्यालय में। बी.ए. (ऑनर्स), एम.ए., एम.फिल. एवं पीएच.डी. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिन्दी विषय में । विश्वविद्या

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