आज ज़रूरत इस बात की है कि ख़बरपालिका के सभी पक्षों और पहलुओं के वस्तुनिष्ठ अध्ययन के लिए तीसरा प्रेस (मीडिया) आयोग गठित हो । उसका गठन कमीशन ऑफ़ इन्क्वायरी एक्ट के अन्तर्गत हो, ताकि वह सम्बन्धित पक्षों को सम्मन कर उनके बयान दर्ज कर सके। उनसे तथ्य माँग सके, निर्दिष्ट समय-सीमा में उसकी रिपोर्ट आये। रिपोर्ट तत्काल सार्वजनिक की जाये। उस पर खुली चर्चा हो, संसद में और सार्वजनिक भी। आयोग की सिफ़ारिशों के क्रियान्वयन की भी समय-सीमा तय हो। मान-मर्यादा और दायित्व बोध की लक्ष्मण रेखा खींचने में अधिक समय न गँवाया जाये। अन्यथा समाज का अक्स दिखानेवाला यह आईना इतना गन्दा हो चुकेगा कि साफ़ शक्लें दिखना ही बन्द हो जायेंगी। सब जानते हैं कि गन्दा आईना घरों में नहीं रखा जाता, घूर पर फेंक दिया जाता है।
पुस्तक के लेखक डॉ. अमित कुमार विश्वास ने 'भूमण्डलीकरण : मीडिया की आचार संहिता' विषय का निर्वाह परिश्रमपूर्वक और सभी आयामों का समावेश करते हुए किया है। पुस्तक के में इसका प्रकाशन सन्दर्भित विषय की रूप पाठ सामग्री में उल्लेखनीय अभिवृद्धि करेगा । ख़ासतौर से विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सन्दर्भ-ग्रन्थ सिद्ध होगा ।
- डॉ. विजयदत्त श्रीधर
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