Gairiradtan Hatya Urf Mrityupoorv Ka Iqbaliya Bayan

Sanjeev Author
Paperback
Hindi
9789350729731
1st
2015
88
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एक सृजन मुहूर्त जीवन का परम सार्थक मुहूर्त होता है। आनन्द और तनाव के द्वैध से कक्षविच्चुत तारिका-सा जीवन के जंजालों से छिटका हुआ कोई मुहूर्त। अनन्तलोकों की यात्रा और क्षणभंगुर जीवन । व्यंजना में कहूँ तो अपने ही पुट्ठे की कुकुर माछी पकड़ने वाले कुत्ते की तरह गोल-गोल घूमते हैं हम । किसी दूर बहती नदी को पास लाते हैं, पहाड़ को दूर खिसकाते हैं, चित्रों को बार-बार विन्यास देते हैं, धीरे-धीरे वह काल्पनिक जगत इतना आत्मीय हो उठता है कि हम सीधे-सीधे उसे विजुअलाइज करने लगते हैं-

सो जानत जेहि देहु जनाई ।
सुमरत तुमहि-तुमहि होइ जाई ॥ - संजीव

आजादी के बाद जिन हिन्दीसेवियों, साहित्यकारों को लम्बे समय तक याद किया जाता रहेगा, उनमें कथाकार संजीव एक अहम हिस्सा होंगे। आजादी की भोर हो रही थी जब वे पैदा हुए-6 जुलाई 1947 को। अपने सतत सृजन से हिन्दी साहित्य में आज वे शिखर पर हैं। ऐसा वे अपनी रचनाओं के चलते हैं। उनकी रचनाएँ सामाजिक सरोकारों का एक बड़ा वितान तानती हैं। इस वितान के भीतर उनके सृजन की जो छवियाँ उभरती हैं उनमें रचनाकार अपनी पूरी संवेदना के साथ खड़ा दिखता है। यह लेखक और लेखन की कसौटी है, इस पर संजीव खरे उतरते हैं।

संजीव (Sanjeev)

38 वर्षों तक एक रासायनिक प्रयोगशाला, 7 वर्षों तक 'हंस' समेत कई पत्रिकाओं के सम्पादन और स्तम्भ लेखन से जुड़े संजीव का अनुभव संसार विविधता से भरा हुआ है, साक्षी हैं उनकी प्रायः 150 कहानियाँ, 13 उपन्यास औ

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