मास्टर चुप हो गये थे ।
मानवाधिकार, अधिकार, इन लोगों का दूर-दूर तक
रिश्ता नहीं है। जीवन
वाले जहरुल जैसों का
व्यावहारिक ज्ञान सब
अवस्थान करता है।
समस्याओं को सतही स्तर
मिलता । तह तक जाकर मूल
में ही उनका
राजनीतिक जीवन में टिके
रहने के लिए
होता है, नियमित रूप से किस्त देते
रहना जरूरी होता है ।
को चुनौती देकर बेटी
अफ़रीदा पड़ोस के गाँव के
इस गाँव की स्कूल जाने
वाली पहली लड़की थी ।
थी... मास्टर का दिमाग
छ़ाराब हो
भेज रहा है। औरत जात है, चूल्हा-पानी का काम सीखे
और कहीं किसी के
बात ख़त्म । क्या जाने कहाँ क्या
मिलाकर रहेगी। लड़की कब
हाथ से फिसल
बड़ा मज़ा आयेगा ।
समय के साथ क़दम मिलाकर
आगे बढ़ेगी, गाँव की दूसरी लड़कियों
से अलग पहचान
अहमू को चोट पहुँचाई थी।
तभी से सबकी
भी अपने परिवार के संस्कार
से एक आदर्श
तक सिद्ध करते आये हैं कि
बेटी को लेकर किया
अधीर हैं । यदि बेटी का
रिजल्ट अच्छा नहीं हुआ
जायेगा ।
-पुस्तक अंश
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