दो मुर्दों के लिए गुलदस्ता - समाज जीने एक शर्त अपनी योग्यता बाज़ार बेच छोटे में कीमत,
बाजार ऊँची ऊँची से सरप्लस,
बनेगा धन संचय सकेगा। सुख ऊँची शैली प्राप्त जाती लेकिन अपनी क़ीमत है।
और का संजोये
सुन्दर और शिक्षित अवसर समृद्धि महानगर पहुँचते भोला अंडरवर्ल्ड देता तो मिसेज़ का सहायक है। भोला विश्वास
और तरक्की
जाता दो
भी है।
सजीला, जूहीन असन्तुष्ट धनाढ्य के पुरुष
जिगोलो) जाता उसका ऊँचा जाता
सोमपुरिया की पारुल से कर हो और
नैन प्रेम
पागल। नैन विवाह सोचता तो घराना कुचल है। के माफिया जाता तो भी की
लेकर को
डालता भोला और हो है।
रोककर जानेवाली कथा सफ़ेदपोश और दोनों दो मुम्बई थे-बनकर गये। दो के गुलदस्ता
सुरेन्द्र एक कथाभूमि
उपस्थित हैं। कृति केवल को वरन भी।
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