शतरंज के मोहरे - हिन्दी के यशस्वी कथाकार अमृतलाल नागर का बहुप्रशंसित उपन्यास है 'शतरंज के मोहरे'। वास्तव में यह एक ऐतिहासिक कृति है, जो सवा-डेढ़ सौ वर्ष पहले की अवध की नवाबी और ईस्ट इण्डिया कम्पनी की नीति का प्रामाणिक इतिहास प्रस्तुत करती है। सन् 1857 ई. का ग़दर भारतीय इतिहास का एक महान क्रान्तिकारी मोड़ है। 'शतरंज के मोहरे' में ग़दर की पृष्ठभूमि में देश-काल की गति-प्रगति के मार्मिक चित्र उभरकर सामने आते हैं। ये चित्र इतने व्यापक और सजीव हैं कि रस बरस-बरस पड़ता है—श्रृंगार, हास्य, रौद्र, बीभत्स, अद्भुत, करुण, शान्त—यानी आप उपन्यास की रसधार में बहते चले जायेंगे। इसके हर पात्र को आप प्यार करेंगे, जिनसे घृणा करेंगे उन्हें भी अनूठे मनोवैज्ञानिक चित्रण से प्रभावित होकर सहानुभूति और मानवीय प्यार देने को विवश होंगे। साथ ही उपन्यास के अनेक पात्रों की याद आपको बार-बार आती रहेगी। प्रस्तुत है इस महत्त्वपूर्ण उपन्यास का नया संस्करण, नयी साजसज्जा के साथ।
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