Sookhate Chinaar

Paperback
Hindi
9789326350648
2nd
2018
136
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सूखते चिनार - वरिष्ठ लेखिका मधु कांकरिया ने अपने सृजन के लिए हमेशा अब तक अछूते रहे आये विषयों का चयन किया है। बावजूद गहन शोध के यह क़ाबिलेतारीफ़ है कि उनके यहाँ कथा-प्रवाह पूर्णतः अबाधित है। 'सूखते चिनार' एक ऐसे युवक की कथा है जो परिवार से बग़ावत करके फ़ौज में सिर्फ़ इसलिए भर्ती हो जाता है कि उसने एक सुबह अख़बार में ‘नेशन नीड्स यू' का भावुक विज्ञापन पढ़ लिया था और उसने इस बात की क़सम खा ली कि 'सोल्जर आई एम बॉर्न, सोल्जर आई शैल डाई'। एक ऐसा मारवाड़ी युवक जिसके पुरखों के हाथों में सदा तराजू हुआ करता था,आज उसके हाथों में बन्दूक़ है। लाला के घर लेफ्टिनेंट। कलकत्ते के सुखद-गर्म बासे से कश्मीर के दुःखद-ठंडे बेस कैम्प तक। फ़ौजी जीवन की तमाम त्रासदियों को ज़मीनी स्तर पर रू-ब-रू करता यह उपन्यास पाठकों को एक अलग ही दुनिया में ले जाता है। मेजर संदीप, कर्नल आप्टे, बाबा हरभजन सिंह जैसे किरदार उस कश्मकश को साक्षात् करते हैं जो राष्ट्र और फ़ौजी के अन्तःसम्बन्धों में गुम्फित है। एक फ़ौजी को घुट्टी में ही पिलाया जाता है कि स्व को समूह में विसर्जित करे— इस उपन्यास के पृष्ठ-दर-पृष्ठ पर स्व से समूह तक के विसर्जन की यात्रा फैली हुई है। नितान्त रोचक पृष्ठभूमि पर लिखा गया यह उपन्यास स्वागतयोग्य है।— कुणाल सिंह

मधु कांकरिया (Madhu Kankariya)

जन्म : 23 मार्च, 1957 शिक्षा : एम.ए. (अर्थशास्त्र, कोलकाता यूनिवर्सिटी), डिप्लोमा (कम्प्यूटर साइंस) उपन्यास : खुले गगन के लाल सितारे (2000), सलाम आखरी (2002), पत्ताखोर (2005), सेज पर संस्कृत (2008), सूखते चिनार (2012), हम यह

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